Navagraha Gemstones – अति प्राचीन काल से ही मानव रत्नों से मंत्रमुग्ध रहा है| प्रारंभिक शताब्दियों में सिर्फ बड़े धनवान एवं ताकतवर लोग ही रत्न धारण करते थे और अक्सर ये आभूषणों के रूप में होते थे जिनमे कटैला, स्फटिक, garnet, जेड, मूंगा, मोती, पन्ना आदि जड़े रहते थे| पूरी दुनिया के पुरातत्व खुदाइयों में ये साबित होता है की आदिकाल से ही मानव रत्न संगृहित करता रहा है|
आभूषणों के अलावा भी हजारों सालों से रत्नों का प्रयोग ज्योतिषाचार्यों द्वारा ज्योतिषीय उपायों और ग्रहों की शांति के लिए प्रयोग किया जाता रहा है| शास्त्रों और पुराणों में रत्नों का हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं पर विशेष असर के उल्लेख उदाहरण सहित उपस्थित हैं|
नवग्रह नवरत्न (Navagraha Gemstones) किस तरह काम करते हैं?
नवग्रह नवरत्न (Navagraha Gemstones) क्यों धारण किये जायें ? क्या ये वास्तव में असर करते है? ये कुछ ऐसे प्रश्न है जिसे समझने के लिए पहले हमें सूर्य के धवल प्रकाश के बारे में समझना पड़ेगा| सूर्य सौर्यमंडल में उर्जा का मुख्य स्रोत है| सूर्य के उर्जा के बिना पृथ्वी पर जीवन संभव नहीं है| सूर्य की उत्कृष्ट उर्जा (peak power) का प्रसारण जो पृथ्वी पर होता है वो धवल प्रकाश (visible/white light) के रूप में विद्युत् चुम्बकीय स्पेक्ट्रम (Electro Magnetic spectrum) पर 357 nm to 740 nm के बीच होता है| (हमारी आँखों को दिखने वाले सूर्य प्रकाश का ये range है)
विद्युत् चुम्बकीय स्पेक्ट्रम (Electro Magnetic spectrum) वास्तव में दीप्तिमान उर्जा का अभिरूप है तथा जितने भी possible तरंगीय आयाम हैं वो सब इस स्पेक्ट्रम का हिस्सा हैं | मनुष्य की आँखों को नजर आने वाली Visible/white light भी इसी का हिस्सा है| आपके घर के ट्यूब लाइट से निकलने वाली रौशनी तथा आपके रेडियो स्टेशन से निकलने वाली ध्वनि तरंग, सब इसका हिस्सा हैं|
इस स्पेक्ट्रम की फैलावट ब्रह्मांड की अन्तरिक्ष किरणों से लेकर गामा किरण, एक्स रे, UV rays, पृथ्वी का धवल प्रकाश (visible light), अवरक्त किरण (infra-red rays) से radio rays तक है और इस तरह ये हजारों किलोमीटर वाली तरंगीय आयामों से लेकर अति सूक्ष्म अणु के परमाणु तक समाविष्ट करती है|
साधारण शब्दों में कहा जाये हमारे चारों तरफ फ़ैले धवल प्रकाश (visible/white light) जिसमे समस्त ग्रहों के तरंगीय आयाम (wave length) प्रकाशीय रूप में सम्मिश्रित हैं, उसमे से किसी खास ग्रह के एक खास तरंग आयाम का अवशोषण कर उसे पहनने वाले के शरीर में प्रवाहित करना, ये रत्नों के माध्यम से होता है| सूर्य के धवल प्रकाश (visible/white light) में सभी ग्रहों के energy frequencies तथा इन्द्रधनुष के सभी सात रंग सम्मिश्रित रहते हैं|
हर ग्रह का अपना विशिष्ट तरंगदैर्घ्य (wavelength) और अपना विशिष्ट रंग होता है| चयनशील अवशोषण (selective absorption) के माध्यम से रत्न, सूर्य के धवल प्रकाश उर्जा की range से, इन विशिष्ट तरंगदैर्घ्य (wavelength) का अवशोषण कर बाकी तरंग आयामों को बिना बदले निष्कासित कर देती है| उदाहरण के लिए Navagraha Gemstones पन्ना देखने में हरा दिखता है क्यूंकि ये रत्न बुध के हरे तरंगदैर्घ्य (wavelength) अवशोषण व प्रतिबिंबन कर बुध की उर्जा प्रेषित करता है और बाकी समस्त तरंग आयामों का निष्कासन करता है|
उम्मीद है अब आप समझ गए होंगे की कैसे रत्न ग्रहों की specific उर्जा का अवशोषण कर उस ग्रह के wavelength को हम तक प्रेषित करता है|
नवग्रह नवरत्न क्यों धारण किये जायें?
अब ये प्रश्न उठता है की नवरत्न (Navagraha Gemstones) आखिर क्यों धारण किये जायें? प्रश्न वाजिब भी है| अब पहले ये समझें की नवरत्न है क्या? फिर समझेंगे की इन्हें क्यों धारण किया जाये|
नवग्रह रत्नों को नौ रत्न से भी जाना जाता है| ज्योतिष के नौ ग्रहों के प्रत्येक ग्रह के लिए प्रत्येक रत्न हैं जिन्हें राशि नग, Navagraha Gemstones, राशि के पत्थर, ज्योतिष के नग, healing gemstones, ग्रहों के पत्थर एवं precious stones आदि से भी जाना जाता है|
जन्म कुंडली में जब किसी विशेष ग्रह को सशक्त करना हो तो एक अनुभवी ज्योतिषी कुंडली का अति सूक्ष्म अध्ययन कर नवरत्नों में से किसी एक रत्न का या संयोजित combination रत्नों का निर्धारण करता है| ग्रह शक्तिहीन, पीड़ित, प्रतिकूल या कमजोर तब होते हैं जब वो नीच के हो कर कुंडली में स्थित हों, या दुश्स्थान में बैठे हों, सूर्य की निकटतम डिग्री में होकर अस्त हों, ग्रहण की स्थिति में हों, planetary war में हारे हुए हों या पाप ग्रहों से युत या दृष्ट हों|
सूर्य और चन्द्र एकाधिपति हैं, मतलब उनके स्वामित्व में एक एक भाव ही आतें हैं| किन्तु बाकी ग्रहों के स्वामित्व में दो दो भाव आते हैं| जब मैं कुंडली के सूक्ष्म अध्ययन की बात करता हूँ तो इसका यही मतलब है की इन दोनों स्वामित्व को देख कर, नवांश कुंडली में ग्रहों को समझ कर एवं महादशा आदि का ध्यान करके ही रत्न निर्धारण किया जाना चाहिए| इस तरीके से निर्धारित रत्न, भाग्य का निर्धारण कर सकता है|
नीचे नवरत्नों के हर रत्न के लिंक दिये गये हैं, जिस पर क्लिक करके आप उस रत्न की समस्त जानकारी पढ़ सकते हैं :
ग्रहों की कुंडली में स्थिति, द्रष्टि, युति, स्वामित्व जैसी कई सूक्ष्म आयामों का गहन विश्लेषण करके ही मैं नवग्रहों के किसी एक रत्न का निर्धारण करता हूँ| ऐसे चयन किये गए रत्न को जातक के कुंडली के अनुरूप, जातक के लिए निकाले गए विशेष मुहूर्त में ही धारण भी करवाता हूँ|
रत्न धारण करने से पूर्व नवग्रह रत्नों को शुद्धिकरण कर, धारक की ऊर्जा से रत्न की ऊर्जा का channelization करना पड़ता है| इस शुद्धिकरण का एवं channelization का एक वैदिक अनुष्ठान है जो मैं अपने clients से पूरे विस्तार के साथ कराता हूँ| जितने भी विभिन्न प्रकार के रत्न प्रकृति में उपलब्ध हैं उनमे ऊपर दिए गए नौरत्न ज्योतिष से सम्बन्ध रखता हैं क्यूंकि नौग्रहों के ये नौरत्न हैं| इसके बाद इनके उपरत्न आते है जिन्हें भी ज्योतिष उपायों के लिए धारण किया जा सकता है |

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