
Blue Sapphire gemstone – राशी रत्न नीलम शनि ग्रह का रत्न है| नीलम रत्नों में शायद सबसे ज्यादा चर्चित रत्न है| इसे पहनना चाहिये की नहीं, क्या इसका असर बहुत तीव्र होता है, नीलम आदमी को कहीं का कहीं पहुंचा देता है आदि ऐसे बहुत प्रश्न हमारे मन में उठते रहते हैं| क्या है इसका सच?
ज्योतिष में शनि ग्रह सबसे डरावना, सबसे अधिक रहस्मय और एक सख्त कार्य कारक (hard taskmaster) हैं जिन्हें “कर्माधिपति” (हमारे समस्त कर्मों के मालिक) के नाम से भी जाना जाता है|
शनि को “मंद” तथा “शनैश्चर” के नाम से भी जाना जाता है जिसका मतलब है मंद गति से चलने वाला क्यूंकि ज्योतिष राशी चके में एक राशी में सबसे अधिक समय रहें वाले ग्रह हैं| शनि ग्रह राशि चक्र की एक राशि को तकरीबन ढाई साल या तीस महीने में पार करते हैं|
एक अच्छे नीलम रत्न (Blue Sapphire gemstone) में क्या गुण होने चाहिये ?
- अगर नीलम रत्न (Blue Sapphire gemstone) बहुत ज्यादा महंगा (लाखों मे) न हुआ तो इसका रंग एकसार नहीं होता| समरूप से पानी की तरह फैले रंग वाला नीलम कृत्रिम synthetic हो सकता है| ऐसा original नीलम कई लाखों की कीमत का होगा|
- अन्दर से एकदम साफ़ बिना किसी प्राकृतिक समावेश (natural inclusion) वाला राशी रत्न नीलम कृत्रिम होगा| प्राकृतिक समावेश नीलम के असली होने की पहचान है|
- एक अच्छे नीलम के अन्दर काले धब्बे black spots नहीं होने चाहिये|
- पत्थर के सतह पर खरोंच या dent नहीं होना चाहिये|
- पत्थर किसी कोने से चटका या टूटा नहीं होना चाहिये|
- असली पत्थर से निकलने वाली light नीली आभा देगा|
शनि ज्योतिष में क्रूर ग्रहों के क्रूरतम ग्रह तो जरूर माने जाते हैं मगर इनकी कृपा के बिना जीवन में कुछ भी हासिल नहीं किया जा सकता|एक सुढृढ़ और अच्छी तरह स्थित शनि जातक को नाम, यश, प्रभुत्व (authority), ज्ञान, अग्रणी बनने की प्रतिभा (ability to lead), अध्यात्म, विरक्ति, सब्र, position and power आदि देता है| नीलम रत्न (Blue Sapphire gemstone) कुंडली में एक शक्तिहीन शनि को सुढृढ़ कर उसे positive बनाता है|
शनि यदि कुंडली में अशुभ स्थिति में हो या दुष्ट ग्रहों से युत या द्रष्ट हो तो ये उस भाव को जिसमे ये स्थित हों और दृष्टि देने वाले भाव दोनों को destroy कर देते हैं और इस प्रकार के अशुभ शनि दुःख, दारिद्र्, देरी, रुकावटें, dejection, अवसाद, निराशा, तबाही और मौत तक ले कर आ सकते हैं क्यूंकि शनि आयु के भी कारक है|
नीलम रत्न (Blue Sapphire gemstone) धारण से शनि की महादशा में शनि के प्रचंडता से काफी हद तक बचाव हो सकता है| साथ ही शनि की साढे साती में भी नीलम रत्न (Blue Sapphire gemstone) सहायक सिद्ध होता है| अमूमन शनि की साढ़ेसाती बड़ी ही दुखदायी और मुश्किल period होती है| साढ़े साती है क्या ? शनि गोचर (transit) में जब कुंडली में स्थित चन्द्रमा से बारहवें भाव से, चंद्रमा के ऊपर और चंद्रमा से दूसरे भाव से गुजरता है, उस साढ़े सात साल के अंतराल को शनि की साढ़ेसाती के नाम से जाना जाता है|
शनि साढ़े साती के इस गोचर (transit) में जीवन के सारे पाठ पढ़ा देता है और कर्मों के अनुसार अच्छे या बुरे फल देता है| ख़ास कर साढ़ेसाती में या अगर कुंडली में शनि शक्तिहीन हो तो नीलम रत्न (Blue Sapphire gemstone) पहनने से जीवन के कई दुखों और परेशानियों को कम किया जा सकता है|
कुंडली के अति सूक्ष्म तथा गहन विश्लेषण के बाद यदि नीलम (Blue Sapphire gemstone) धारण किया जाये और अगर ये जातक को suit कर जाए तो ये रत्न सबसे तेजी से जातक के जीवन में उन्नति लाकर जीवन स्तर का उत्थान कर सकता है|
कुछ लोग नीलम रत्न (Blue Sapphire gemstone) को कम से कम सात दिन तक शरीर पर धारण करके दुष्प्रभाव को चेक करते हैं पर यदि कुंडली का गहन अध्ययन किया हो तो इसकी जरुरत नहीं पड़ती|
नीलम रत्न (Blue Sapphire gemstone) नीले रंग के कई रंगत में आता है| नीलम रत्न में रंग का फैलाव अधिकतर अनियमित व अव्यस्थित zones में रहता है| इस रत्न में लोह और टाइटैनियम की उपस्थिति इसके रंग का कारण है| प्राकृतिक जाले, सुई के तरह के समावेश, क्रिस्टल जैसे Natural inclusions नीलम में होना आम बात है बल्कि ये Natural inclusions असली नीलमकी कृत्रिम नीलम के खिलाफ पहचान कराती है|
इन समावेशों (inclusions) को रत्न विज्ञान की भाषा में रूटायल नीडल, सिल्क रूटायल, सीधी या कोणीय धारियां (angular banding), नेगेटिव क्रिस्टल और fingerprint inclusions आदि से जाना जाता है| ये समावेश (inclusions) वास्तव में “प्रकृति के हस्ताक्षर” (“Nature’s Signature”) हैं नाकि रत्न के किसी तरह के खोट|
रत्न धारण का बड़ा ही ख़ास वैदिक अनुष्ठान है जिसके द्वारा रत्नों का शुद्धीकरण करके, पहनने वाले के चक्रों से रत्न के उर्जा को ट्यून करके रत्न पहना जाता है|


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